बाबा साई :: क्यूँ दुखी होते है, जब मैं तेरे साथ हूँ क्यूँ धीरज खोता है?
मैं बोला :: बाबा जानता हूँ आप आस पास हो फिर भी ये दिल चिंतित होता है, कर्मो के चक्कर में पड़कर ये दिल धीरज खोता है।।
बाबा साई :: श्रद्धा और सबुरी ये मंत्र मैने सबको सिखाया है, ये मत सोच तुने क्या खोया है ये सोच की क्या क्या पाया है।
मैं बोला :: बाबा मुझको तो बस साई शरण ही प्यारी है, सबको भूल चुका हूँ बस एक आस बाबा तुम्हारी है। तुम मुझसे रूठ जाओ बाबा ऐसा कभी न करना। तुम मुझसे दूर जाओ बाबा ऐसा कभी न करना। बाबा, मैं बुला बुला के हारूँ तुम को हर दम पुकारूँ तुम फेर लो मुँह अपना ऐसा कभी न करना। बाबा मैं अनजाने में कुछ गलत कर दूं। तुम राह दीखाना मुझको मैं उसी राह चलूंगा बाबा। तुम पास आकर मेरे, मुझे न बुलाओ ऐसा कभी न करना ऐसा कभी न करना बाबा, ऐसा कभी न करना, बाबा...।
No comments:
Post a Comment