कंधे पे लटका के झोली,
चलता एक फकीर है।
सुख-दुःख सबके देख रहा है,
बदल रहा तकदीर है।
द्वारकामाई में धूनी रमा के,
रहता है यह संत।
उदी खिला के,तन पे लगा के,
करे बिमारी का अंत।
ॐ साई श्री साई जय जय साई
कंधे पे लटका के झोली,
चलता एक फकीर है।
सुख-दुःख सबके देख रहा है,
बदल रहा तकदीर है।
द्वारकामाई में धूनी रमा के,
रहता है यह संत।
उदी खिला के,तन पे लगा के,
करे बिमारी का अंत।
ॐ साई श्री साई जय जय साई