शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण... अधिक जानने के लियें पूरा पेज अवश्य देखें

शिर्डी से सीधा प्रसारण ,... "श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ... के सौजन्य से... सीधे प्रसारण का समय ... प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ... सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,... हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है। ...ॐ साँई राम जी...

Saturday, 22 November 2014

सबका मालिक एक

ना कोई गम, ना ही कोई शिकायत होगी,
साई की रहमत की हर पल इनायत होगी,
कर लें साई नाम का सिमरन तू आठों पहर,
अमृत बन जाएगा तेरे जीवन का जहर,
सबका मालिक एक - मन में ऐसा ठान लें,
बाबा साई का बन जा और उनको अपना मान ले।।

ॐ साई राम

Friday, 21 November 2014

भक्ति की नाव बाबा का साथ यही है हम भक्तों की आस

श्रद्धा भक्ति नाव बने, बाबा उसे चलाये |

बाबा जी की हो कृपा, भवसागर तर जाय ||

श्री सच्चिदानंद साई महाराज को साष्टांग नमस्कार करके उनके चरण पकड़ कर हम सब भक्तों के कल्याणार्थ उनसे प्रार्थना करते है कि हे साई । हमारे मन की चंचलता और वासनाओं को दूर करो । हे प्रभु । तुम्हारे श्रीचरणों में अंकित होने के अतिरिक्त हममें किसी अन्य वस्तु की लालसा न रहे ।


गुरु और शिष्य का भी सम्बन्ध

 
"कछुवी नदी के इस किनारे पर रहती है और उसके बच्चे दूसरे किनारे पर। न वह उन्हें दूध पिलाती है और न हृदय से ही लगाकर लेती है, वरन् केवल उसकी प्रेम-दृष्टि से ही उनका भरण-पोषण हो जाता है।
छोटे बच्चे भी कुछ न करके केवल अपनी माँ का ही स्मरण करते रहते है। उन छोटे-छोटे बच्चों पर कछुवी की केवल दृष्टि ही उन्हें अमृततुल्य आहार और आनन्द प्रदान करती है।

ऐसा ही गुरु और शिष्य का भी सम्बन्ध है।"
(श्री साई सच्चरित्र, अध्याय 18/19)

दरबार में साई के


जिनके दरबार में ना कोई जात है न कोई धर्म, 


न कोई राजा और न कोई रंक॥


जिन्होंने सपने में भी कभी किसी प्राणी को 


कष्ट में नहीं रहने दिया॥


ऐसे गुरु श्री सांईनाथ महाराज के चरणों हम 


बच्चो की तरफ से शत् शत् नमन॥


ॐ साई राम 

Wednesday, 19 November 2014

Radhakrishna Mai, 20th Nov 1916

Sai-Vaar Ki Hardik Shubh Kaamnayen..

Today 20th Nov 2014, same day 20th Nov 1916 Our Radhakrishna Mai left the World and mergers on the Lotus Feet Of Sadguru Sai the day was Kartika Bahula Ekadasi..

No One Can Ever think Of coping her devotion. On the same day Baba said these words :: These people are mad fellows; they do not know what real devotion means. Radhakrishna Mai had a strong vow to get only Moksha from Me, hence I blessed her with Moksha.

You know where she is?
She is in my Heart..! People at Shirdi could not identify her Greatness and her Spiritual Level.

In the presence of Baba, Radhakrishna Mai’s rituals were performed at Shirdi and later the ashes were immersed in Godavari River at Kopergaon.

Let's Us all Pray To Baba SAI to Increase our Devotion and Spiritual Love toward's Him Same as Radhakrishna Mai and also give us small residing place on his Lotus Feet For Ever & Ever..

Om Sai Ram..