शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण... अधिक जानने के लियें पूरा पेज अवश्य देखें

शिर्डी से सीधा प्रसारण ,... "श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ... के सौजन्य से... सीधे प्रसारण का समय ... प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ... सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,... हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है। ...ॐ साँई राम जी...

Friday, 30 May 2014

मुझे मानव से माधव बना दिया


तुम लोगो ने मुझे मानव से माधव बना दिया है | प्रत्येक मानव में माधव के दर्शन करो, वही मेरी सच्ची पूजा है.. :: बाबा साईं...

ॐ श्री साईंनाथाय नम:

Way To Moksha (liberation) BABA SAI..

“The objects of our life such as Dharma, Artha and Kama are attainable with our effort, but the fourth object, Moksha (liberation) can only had with the help of the Sadguru Baba SAI"..

So let's surrender ourself to the lotus feet of Lotus Feet Of our Sadguru SAI, then only all kinds of doubts and fears within the heart can be vanquished and we can attain Moksha (liberation)..

Om Sai Ram

"Nav Din Nav Tariq Allha Miya Ne Apna Dhuniya Lagaya".. means Ninth day. BABA left his body on 9th day of Muslim month Moharam As Allah's Wish..

 "NAV DIN NAV TARIQ ALLHA MIYA NE APNA DHUNIYA LAGAYA, MARZI ALLHA KI..." 

(On the 9th day Of  Moharam Allah will take away his own kept lamp. As Allah wish...)

Nav Din Nav Tariq means Ninth day. BABA left his body on 9th day of Muslim month Moharam..

In the year 1918, few months before BABA leaving his body.He called Bade Baba's son named Kasim and gave him some chapatti's and cooked chicken and told him to take this to Aurangabad and meet Shamsuddin Fakir Miya and give all this to him and also give him Rs 250. Tell Shamsuddin Fakir Miya to do Mauloo and Kawali and also do Nyaas .

{Mauloo = Singing songs of Prophet Mohammad, Kawali = Singing songs of saints, & Nyaas = Cooking food and distributing..}

BABA also gave Kasim a garland of marigold flowers and told him to put it into the neck of Banney miya and tell him 

"NAV DIN NAV TARIQ ALLHA MIYA NE APNA DHUNIYA LAGAYA. MARZI ALLHA KI

(On the 9th day Allah will take away his own kept lamp. As Allah wish! )

Getting orders from Baba Kasim spoke that he dose not have any knowledge of Aurangabad. Baba told him to take Chotekhan as guide. So Chotekhan, Kasim & his servant Amir went to Aurangabad & alighted at Aurangabad station....

On the station Shamsuddin Fakir was himself standing there, waiting for these three, "Who are the guests from Sai fakir?” asked Shamsuddin fakir. Chotekhan, Kasim went ahead and greeted him. Then Shamsuddin Fakir uttered the same words which Baba had told to Kasim ::

"NAV DIN NAV TARIQ ALLHA MIYA NE APNA DHUNIYA LAGAYA. MARZI ALLHA KI
Latter Samsuddin Fakir took these three people to his place. 

After giving Rs.250 by Kasim to Shamsuddin Fakir, Nyaas was done and many people had food. Latter in the night program of Mauloo & Kawali was also done as per Baba’s wish. 

On the next day Shamsuddin Fakir and these three went to Banney Miya. At that time Banney Miya was standing (in meditation) with one hand up and the other down. The people near to Banney Miya told Chotekhan and others not to go near Banney Miya as he would get angry. Chotekhan and others waited for some time, but latter Chotekhan with little daring put the garland of marigold flowers given by BABA into the neck of Banney Miya.

As soon as the garland fell into the neck, Banney Miya opened his eyes and uttered

"NAV DIN NAV TARIQ ALLHA MIYA NE APNA DHUNIYA LAGAYA. MARZI ALLHA KI !!”

Banney Miya looked up at the sky and tears started flowing from his eyes. (May be by knowing that the day of BABA leaving his body was near he felt bad).

After 4 months of this, BABA left his body on 9th day of Muslim month Moharam..

Om Sai Ram, Baba Bless Us All..

Thursday, 29 May 2014

साँई मिले थे

साँई मिले थे मुझको कल रात सोते सोते,
करते रहे थे बाते सुप्रभात होते होते,
वो सामने थे मेरे मै उनके सामने था,
था हाथ मेरे सर पे,  मै चरणों को धो रहा था,
बोले क्यों रो रहा है , मेरे साथ होते होते.... ।।

।। ॐ श्री साईं राम ।।

Tuesday, 27 May 2014

Shani Jayanti on 28th May 2014, Today. Wishing You And Your Family A Very Blessed Shani Jayanti..


Shani Jayanti is the birth anniversary of Lord Shani. Shanidev the son of Surya was born on Amavasya of Jyeshta month. It is also known as Shani Amavasya or Shanishchara Jayanti. This year Shani Jayanti falls on 28th May 2014, Today is going to be a highly pious and most appropriate to please Lord Shani. This day is celebrated with great devotion, Special puja and ceremonies are arranged at various Shani temples.

Benefits of Shani Jayanti Puja

This is the most virtuous day to worship Shani Dev:

Reduce Pitra Dosha.Lead you towards professional success.Provide relief from malice effects of Sadhe Saati and Dhaiya.Blesses you with health, wealth and happiness.Tailabhishekam performed on this day will be highly fruitful.It also helps to seek blessings of Shanidev and inspires us to avail his qualities like discipline, leadership and patience..

Shani Jayanti Celebration at Shingnapur:

Shani Shingnapur Shaneshwara Mandir celebrates this day as a major festival. A lot of rites and rituals are performed on this day so that all the devotees can participate in these activities. Shani Jayanti brings the joy of festivity all across Shingnapur. On this holy day:

The idol is cleansed with ‘panchamrut’, ‘Gangajal’, oil and water.Lord Shani is dressed in blue colour and ornamented with ‘Nauratnahaar’.The ‘Laghu Rudra Abhishek’ lasts for 12 hours.A special ‘Maha Puja’ is organised.Bhajan-Kirtans programme continues throughout the day.Tailabhishekam (oil offering) is an integral part of this celebration.

Shani Jayanti an extraordinary opportunity to please Lord Shani. And He can be best pleased by offering oil. So, offer Tailabhishekam at Shani Shingnapur..

Ankit Kapoor wishes you and your family a blessed Shani Jayanti.. A Very Happy Birthday To My Lord My God Shani Dev..

Jai Shani Dev...

शनि जयंती की हार्दिक शुभकामनाये ।। ॐ शनिश्चराय नम:।।

28 मई, 2014 को बुधवार के दिन ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती है, इस दिन शनि देव की विशेष पूजा का विधान है ।  शनि देव को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्रों व स्तोत्रों का गुणगान किया जाता है।  शनि ज्योतिष में नौ मुख्य ग्रहों में से एक हैं, शनि अन्य ग्रहों की तुलना मे धीमे चलते हैं इसलिए इन्हें शनैश्चर भी कहा जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि के जन्म के विषय में काफी कुछ बताया गया है और ज्योतिष में शनि के प्रभाव का साफ़ संकेत मिलता है, शनि ग्रह वायु तत्व और पश्चिम दिशा के स्वामी हैं।  शास्त्रों के अनुसार शनि जयंती पर उनकी पूजा-आराधना और अनुष्ठान करने से शनिदेव विशिष्ट फल प्रदान करते हैं ।

शनि जन्म कथा | Shani Janma Katha

शनि जन्म के संदर्भमें एक पौराणिक कथा बहुत मान्य है जिसके अनुसार शनि, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य देव का विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ कुछ समय पश्चात उन्हें तीन संतानो के रूप में मनु, यम और यमुना की प्राप्ति हुई । इस प्रकार कुछ समय तो संज्ञा ने सूर्य के साथ निर्वाह किया परंतु संज्ञा सूर्य के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाईं उनके लिए सूर्य का तेज सहन कर पाना मुश्किल होता जा रहा था । इसी वजह से संज्ञा ने अपनी छाया को पति सूर्य की सेवा में छोड़ कर वहां से चली चली गईं । कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ ।

शनि जयंती पूजा | Shani Jayanti Puja

शनि जयंती के अवसर पर शनिदेव के निमित्त विधि-विधान से पूजा पाठ तथा व्रत किया जाता है । शनि जयंती के दिन किया गया दान पूण्य एवं पूजा पाठ शनि संबंधि सभी कष्टों दूर कर देने में सहायक होता है। शनिदेव के निमित्त पूजा करने हेतु भक्त को चाहिए कि वह शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर नवग्रहों को नमस्कार करते हुए शनिदेव की लोहे की मूर्ति स्थापित करें और उसे सरसों या तिल के तेल से स्नान कराएं तथा षोड्शोपचार पूजन करें साथ ही शनि मंत्र का उच्चारण करें :-

।। ॐ शनिश्चराय नम:।।

इसके बाद पूजा सामग्री सहित शनिदेव से संबंधित वस्तुओं का दान करें।  इस प्रकार पूजन के बाद दिन भर निराहार रहें व मंत्र का जप करें। शनि की कृपा एवं शांति प्राप्ति हेतु तिल, उड़द, कालीमिर्च, मूंगफली का तेल, आचार, लौंग, तेजपत्ता तथा काले नमक का उपयोग करना चाहिए, शनि देव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। शनि के लिए दान में दी जाने वाली वस्तुओं में काले कपडे, जामुन, काली उडद, काले जूते, तिल, लोहा, तेल, आदि वस्तुओं को शनि के निमित्त दान में दे सकते हैं ।

शनि जयंती महत्व | Significance of Shani Jyanti

इस दिन प्रमुख शनि मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है । भारत में स्थित प्रमुख शनि मंदिरों में भक्त शनि देव से संबंधित पूजा पाठ करते हैं तथा शनि पीड़ा से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं । शनि देव को काला या कृष्ण वर्ण का बताया जाता है इसलिए इन्हें काला रंग अधिक प्रिय है । शनि देव काले वस्त्रों में सुशोभित हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन हुआ है। जन्म के समय से ही शनि देव श्याम वर्ण, लंबे शरीर, बड़ी आंखों वाले और बड़े केशों वाले यह न्याय के देवता हैं,  योगी, तपस्या में लीन और हमेशा दूसरों की सहायता करने वाले होते हैं । शनि ग्रह को न्याय का देवता कहा जाता है यह जीवों को सभी कर्मों का फल प्रदान करते हैं l


जीवन में कभी न कभी शनि का प्रभाव सभी के जीवन पर पड़ता है, इसलिए शनि को हमेशा खुश रखें ताकि इनकी दशा में कष्ट नहीं सुख ही सुख प्राप्त हो।