उठो उठो शिरड़ी के राजा, उठो उठो साई राम। उठो उठो हे देवा, करो जगत कल्याण, उठो उठो देवा निद्रा को दो त्याग। साधु जन द्वारे खड़े, ले दर्शन की बाट। जब आप निद्रा में बसो, जगत निद्रावश् होय। प्रभू की कृपा दृष्टि से, जन जन मंगल होय। गोदावरी के तीर पर, पावन शिरड़ी धाम। तहं समाधि मन्दिर में, हों काँकड़, आरती गान। भोले भाले भक्त जन, रहे आरती तार। घन्टा शंख ध्वनि सहित, कर रहे मंगलाचार। हाथ जोड़ विनती करे, चरण कमल धरे माथ। साई चरणों में अंकित हुए, धूप दीप लोबान से, नजर उतारें नाथ। अंकित का प्रणाम, साई करो स्वीकार। हम सब सेवक है प्रभु, साई आप सरकार। नित्य प्रति प्रभात में, जो प्रेम सहित करें गान, साई की कृपा होवें, पूर्ण हों सब काम। ज्ञान विज्ञान नित नित बढ़े, स्ंवरे सारे काम। अन्त समय सुख शान्ति से, मिलेगा साई राम, साई की शरण में हो दल से बोलो ॐ साई राम।
ॐ साई राम
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