हे बाबा साई, मेरे नेत्रों को तुम अपने नेत्र बना लो देवा ताकि हमें सुख और दुःख का अनुभव ही न हो।
मेरे शरीर और मन को तुम अपनी इच्छानुकूल चलने दो साई ।
मेरे शरीर और मन को तुम अपनी इच्छानुकूल चलने दो साई ।
साई , यह जो तुम्हारा लीलामृत पान करने का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ तथा जिसने हमें अखण्ड निद्रा से जागृत कर दिया है, यह तुम्हारी ही कृपा और हमारे गत जन्मों के शुभ कर्मों का ही फल है बाबा।।
ॐ साई राम
ॐ साई राम
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