मैं तन्हा था बाबा आपके बिना,
मैं मजबूर था साँईं आपके बिना,
कोई मित्र नहीं था मालिक आपके बिना,
आप ने जो किया बाबा ना कोई कर पाएगा,
साँईं आप आए मेरे जीवन में,
बाबा आपके साथ बहार आ गई,
अब ना तन्हाई हैं ना ही कोई मजबूरी,
आप के साथ दो मित्र और मिले,
श्रध्दा और सबूरी,
मेरे अंग संग आप सहाई,
मेरे साँईं साँईं साँईं,
स्वीकार करो, इस दास से,
साँईं मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई।।
ॐ साँईं राम
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