आज मातृ दिवस के अवसर पर सभी माताओं के श्री चरणों में मेरा सहृदय नतमस्तक हो कर कोटि कोटि प्रणाम ।
सारी दुनिया का सार हैं :: माँ ।
समस्त ब्रह्मांड के पार हैं :: माँ ।
सभी वेदों का विचार हैं :: माँ ।
आदि और अंत भी हैं :: माँ ।
जीवन पर्यंत भी हैं :: माँ ।
सुखों की पूंजी हैं :: माँ ।
दुखों की कुंजी हैं :: माँ ।
आँचल से करती छांव हैं :: माँ ।
तपती जमीन से बचाती पाँव हैं :: माँ ।
ना आने दें तन पे कोई घाव वो हैं :: माँ ।
सर्दी में बनती अलाव हैं :: माँ ।
दुष्टों से करती बचाव हैं :: माँ ।
एक शब्द विश्व में पूर्ण हैं :: माँ ।
स्वर्ग की पहचान हैं :: माँ ।
समस्त ब्रह्मांड के पार हैं :: माँ ।
सभी वेदों का विचार हैं :: माँ ।
आदि और अंत भी हैं :: माँ ।
जीवन पर्यंत भी हैं :: माँ ।
सुखों की पूंजी हैं :: माँ ।
दुखों की कुंजी हैं :: माँ ।
आँचल से करती छांव हैं :: माँ ।
तपती जमीन से बचाती पाँव हैं :: माँ ।
ना आने दें तन पे कोई घाव वो हैं :: माँ ।
सर्दी में बनती अलाव हैं :: माँ ।
दुष्टों से करती बचाव हैं :: माँ ।
एक शब्द विश्व में पूर्ण हैं :: माँ ।
स्वर्ग की पहचान हैं :: माँ ।
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