नहीं चाहिये कोई सम्मान मुझे, बस साई देना इक वरदान मुझे।
कि निभा सकूँ बाबा मैं फर्ज़ सभी, और चुका सकूँ मैं कर्ज़ सभी।
साई तेरी रज़ा में राज़ी रहूँ सदा, बाबा तेरी रब से कम नहीं कोई अदा।
साई तेरे नाम का जाम मैं पीता रहूँ, बाबा तेरा लंगर चख के जीता रहूँ।
बाबा मेरे जाने का कोई गम ना करे, कोई आँख के आँसू कम ना करे।
साई तेरे चरणों में आखरी धड़कन हो, और कानों में बाबा तेरा सतसंग हो।।
।।श्री सच्चीदानंद सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय।।
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