साई तेरी नागरी में एक छोटा सा मेरा भी बसेरा हो, तेरे भक्तो में बाबा एक नाम भी मेरा हो, द्वारकामाई में भक्त जब चूमे तेरे श्री चरणों को बाबा तो उन भक्तों में एक नाम मेरा भी अंकित हो।।
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साई को चाहने वालों को और कोई चाह नही होती, साई के श्री चरणों में अंकित होने के सिवा उनकी और कोई राह नही होती।।
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बाबा नही आती मुझे भिन-भिन भाषाएँ, साई मुझे सिर्फ आपका नाम समझ में आता है, बाबा नही आता मुझे आपको अपना हाले दिल कहना, दिल का हाल साई आपको कैसे सुनाऊ, कह दो बाबा साई आपके श्री चारणों में आकर शिरडी में मैं कैसे अंकित हो जाऊ।।
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बाबा साई जब से मिल गई मुझे आपके चरणों की धूल, तब से सिर्फ श्रद्धा सबूरी बने मेरे जीवन के उसूल।।
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श्री साई के चरणों से सदा प्रेम की धारा बहती रहती है, हर पल हम सबकी साँसे साई साई बाबा साई कहती रहती है।।
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साई की बनी रचना को साई के श्री चरणों में अंकित कर जो आनंद आता है फिर तो पूरा साई परिवार साई साई साई गाता है।।
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साई की निगाहों से हमेशा प्रेम बरस्ता हैं, बाबा के श्री चरणों मेँ अंकित हो जाने को, न जाने आज ये दिल इतना क्यों तरसता है।।
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श्रद्धा-सबूरी बनालो अपने जीवन के उसूल, यही तो कहते है हमारे श्री बाबा साई के बनाये रूल।।
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