इस पोस्ट का पूरा श्रेय श्रीमती रचना अरोरा को है। साई उनके ऊपर हमेशा कृपा बनाये रखें।
मैंने तो हर पल साई साई जपना ही अपना काम बना लिया है, मुझे कहीं जाने की जरूरत नहीं, क्योंकि मैंने अपने मन मन्दिर को ही शिरडी धाम बना लिया है।।
मेरे मालिक साई माना की शिरडी बहुत दूर है, लेकिन जब भी मैंने तुझे पुकारा तू आया जरूर है।।
मैंने वंगा चढ़ा लैयाँ ने साई दे दरबार दियाँ, साई ने मैनू खुशियाँ दितियाँ ने सारे संसार दियाँ।।
मेरे साई की अदभुत माया है, जो हर कोई समझ न पाया है।।
जमीं पे चिमटा मार के साई अग्नि जलाता हैं, जमीं पे ही साई सटके से पानी की धार बहाता हैं ।।
वेदों ने पार तुम्हारा न पाया है, हे साई तेरी कैसी अदभुत माया है।।
हर चेहरे में ही साई का नूर है, साई तो हमारे साथ है नहीं दूर है।।
साई ही राम हैं साईं ही हैं कृष्णा, इनका नाम लेने से मिट गयी सब तृष्णा।।
झोली चिमटा हाथ में, मेरे साई बने फ़क़ीर, चाकर जिनके कुबेर हैं, मेरे साई ऐसे अमीर।।
मेरे साई जिसने माथे लगाई तेरी विभूति, उसको हुई है स्वयं बाबा तेरी अनुभूति।।
साई को याद करके सो जाओ।
साई के सपनों में खो जाओ।।
साई के सपनों में खो जाओ।।
[मेरा साई साधू भी है और मौला भी है।
मगर ये सबसे सच्चा और भोला भी है।।
मगर ये सबसे सच्चा और भोला भी है।।
मेरे साईं तेरी रहमत तो हर पल बरसती रहे।
फिर क्यों कुछ माँओं की आँखे नन्हीं ख़ुशी को तरसती रहें।।
फिर क्यों कुछ माँओं की आँखे नन्हीं ख़ुशी को तरसती रहें।।
मेरे साईं मुझे पता है कि, अनहोनी को भी टाल दे, जिनकी गोद सूनी है,साईं उनको भी अब तू लाल दे।।
जिनकी सच्चे मन की भवना,सच्चे मन की प्रीत, साईं ही उनका माँ बाप है, साईं ही उनका मीत।।
मेरे साईं इस जहाँ में, नुमायाँ तेरी शान है।
तूने ही बिखेरी है ,हर चेहरे पे मुस्कान है।।
तूने ही बिखेरी है ,हर चेहरे पे मुस्कान है।।
मेरे साईं का जिसने भी नाम लिया है।
मेरे शिरडी वाले ने उसका हर काम किया है।।
मेरे शिरडी वाले ने उसका हर काम किया है।।
मेरे साईं तेरा आदि ,मध्य और अंत नहीं।
तू तो परब्रह्म है,कोई मामूली सन्त नहीं।।
तू तो परब्रह्म है,कोई मामूली सन्त नहीं।।
मेरे साईं गिरे हुए को सम्भालता है तू।
जब भी कोई संकट आये, उसको टालता है तू।।
जब भी कोई संकट आये, उसको टालता है तू।।
मेरे साईं की लीलाएँ, तो हैं इक सागर।
जो भी इसमें गोते लगाएगा,भर जायेगी उसकी गागर।।
जो भी इसमें गोते लगाएगा,भर जायेगी उसकी गागर।।
स्वर्ग से सुन्दर मेरे साईं का दरबार है।
जहाँ भक्तों को मिलता दो जहान का प्यार है।।
जहाँ भक्तों को मिलता दो जहान का प्यार है।।
मेरे साईं तूने खिलाईं मुरझाई हुई कलियाँ हैं।
फिर क्यों बाबा कईयों की सूनी गलियाँ हैं।।
फिर क्यों बाबा कईयों की सूनी गलियाँ हैं।।
कितनी प्यारी हैं मेरे साईं की आँखें।
हमें दिखे साईं की ममता , जब भी हम उसमें झाँके।।
हमें दिखे साईं की ममता , जब भी हम उसमें झाँके।।
चाहे समस्या कितनी ही क्यों न विकट हो।।
बस मेरे साईं तू मेरे निकट हो।।
बस मेरे साईं तू मेरे निकट हो।।
साईं जिसके साथ हैं,उसकी तो बात निराली है।,
हर दिन उसका ईद है, और हर रात दीवाली है।।
हर दिन उसका ईद है, और हर रात दीवाली है।।
कैसे करूँ बयाँ साईं तेरी महानता।
किसी की भी न हो सकती तुझसे समानता।।
किसी की भी न हो सकती तुझसे समानता।।
तन पवित्र करें न करें, मन पवित्र जरूर करें।
और कोई ग्रन्थ पढ़े न पढ़े,पर श्री साईं चरित्र जरूर पढ़ें।।
और कोई ग्रन्थ पढ़े न पढ़े,पर श्री साईं चरित्र जरूर पढ़ें।।
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