तुम चाहे कहीं भी रहो जो इच्छा हो सो करो परन्तु यह सदैव स्मरण रखो कि जो कुछ भी तुम करते हो, वह सब मुझे ज्ञात है | मै ही समस्त प्राणियों का प्रभु और घट घट में व्याप्त हूँ | मेरे उदर में समस्त जड़ व चेतन प्राणी समाये हुए हैं | मै ही समस्त ब्रह्मांड का नियंत्रणकर्ता व संचालक हूँ | मै ही उत्पत्ति, स्थिति व संहारकर्ता हूँ | मेरी भक्ति करने वालों को कोई हानि नहीं पहुँचा सकता | मेरे ध्यान की उपेक्षा करने वाला माया के पाश मे फँस जाता है | समस्त जन्तु, चींटियाँ तथा दृश्यमान परिवर्त्तमान और स्थायी विश्व मेरे ही स्वरूप हैं |
ॐ साई राम
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