।। ॐ साई राम।।
साई ने फरमान बिजवाया था, मनीष चावला के साथ पहेली बार मुजको बुलाया था
न जाने आज वो मंजर क्यों याद आ रहा है, शिर्डी में बाबा से मिलन
का पहला सफ़र क्यों याद आ रहा है, कैसे बाबा ने मुझे शिर्डी बुलाया
था ,भेजा के मेरे यार को, बाबा ने मुझे बुलवाया था , मेरे यार मनीष
चावला, के रूप में शिर्डी वाला, खुद मुझे लेने आया था, बाबा ने
मनीष से मुझे, स्टेशन पे बैठ के फ़ोन लगवाया था । मै, न जाने क्यों
रुक न पाया था, आज भी मुझे याद है वो देर रात थी,और मेरे बुलावे
कि शिर्डी वाले से पहेली सौगात थी, फिर तोह साई बाबा से मिलने
कि बात थी।मैंने शिर्डी साई के द्वार में पहेली बार सर को झुकाया था,
और प्यारे मनीष ने मुझे शिर्डी साई का आसल अर्थ समझाया
था, साई ने अपनी भक्ति रंग मुझपे चाडाया था , और मुझे ये अल्फाज़
समझ में आया था :
का पहला सफ़र क्यों याद आ रहा है, कैसे बाबा ने मुझे शिर्डी बुलाया
था ,भेजा के मेरे यार को, बाबा ने मुझे बुलवाया था , मेरे यार मनीष
चावला, के रूप में शिर्डी वाला, खुद मुझे लेने आया था, बाबा ने
मनीष से मुझे, स्टेशन पे बैठ के फ़ोन लगवाया था । मै, न जाने क्यों
रुक न पाया था, आज भी मुझे याद है वो देर रात थी,और मेरे बुलावे
कि शिर्डी वाले से पहेली सौगात थी, फिर तोह साई बाबा से मिलने
कि बात थी।मैंने शिर्डी साई के द्वार में पहेली बार सर को झुकाया था,
और प्यारे मनीष ने मुझे शिर्डी साई का आसल अर्थ समझाया
था, साई ने अपनी भक्ति रंग मुझपे चाडाया था , और मुझे ये अल्फाज़
समझ में आया था :
साईं भक्ति सिर्फ किस्मत वाला पाये, वो जिसे खुद साई बाबा
अपनाये , भक्त्त तोह हर पल साई को आजमाए , मगर सच भक्त्त
वोही जो साई रंग में रंग जाये ।।
न जाने साई भक्ति कैसे धड़कन में समां गई, और अब तोह सांस भी लेता
हु तोह साई कि याद आती है ,शिर्डी मुझे बुलाती है, बात कुछ भी न हो
तोह भी याद साई कि आती है और जुबान पर साई धुन अपना राग
लगाती है ।।
बाबा तेरा मै दीवाना हो गया शिर्डी में मेरा आना जाना हो गया, और न
कुछ लिखता हु क्युकी ये आँसू रोक न पाउँगा , और साई को फिर
सताऊंगा, सफ़र चला याद बनी धीरे धीरे साई से सौगात बनी, साई धीरे
धीर अपना प्यार दिलाता गया और बाबा नाम से रिश्ता बनता
गया, आज भी शिर्डी जाने से मनीष चावला तेरी याद सताती है,
और मेरी हर साँस साई से तुज्को आशिर्वाद दिलाती है।।
कुछ लिखता हु क्युकी ये आँसू रोक न पाउँगा , और साई को फिर
सताऊंगा, सफ़र चला याद बनी धीरे धीरे साई से सौगात बनी, साई धीरे
धीर अपना प्यार दिलाता गया और बाबा नाम से रिश्ता बनता
गया, आज भी शिर्डी जाने से मनीष चावला तेरी याद सताती है,
और मेरी हर साँस साई से तुज्को आशिर्वाद दिलाती है।।
आगे बाड़ा दीवाने मिले साई से मिलने के बहाने मिले।।
साई बाबा की कृपा सदा मनीष चावला आप और आपके
समथ परीवार पर बनी रहे
साईं की आँखों से काम लेते हैं, साईं के दामन को थाम लेते है |
दूर होती हैं सारी मुश्किलें, जब साईं बाबा का दिल से नाम लेते हैं |
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