SHRI SACHIDANAND SADGURU SAINATH MAHARAJ KI JAI....
कंधे पे लटका के झोली, चलता एक फकीर है। सुख-दुःख सबके देख रहा है, बदल रहा तकदीर है। द्वारकामाई में धूनी रमा के, रहता है यह संत। उदी खिला के,तन पे लगा के, करे बिमारी का अंत।
ॐ साई श्री साई जय जय साई