SHRI SACHIDANAND SADGURU SAINATH MAHARAJ KI JAI....
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Thursday, 25 February 2016
एक फकीर
कंधे पे लटका के झोली, चलता एक फकीर है। सुख-दुःख सबके देख रहा है, बदल रहा तकदीर है। द्वारकामाई में धूनी रमा के, रहता है यह संत। उदी खिला के,तन पे लगा के, करे बिमारी का अंत।
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