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Saturday, 27 August 2016

राखी

दिखा दो इक बार, मुझे अपनी सुहानी शिर्डी।
सुना है कि जन्नत से कम नहीं  तुम्हारी शिर्डी॥

ॐ साई राम

Thursday, 25 August 2016

साई की शरण ही श्री कृष्ण की शरण है।


साई श्री कृष्ण से भिन्न नहीं हैं। युगपुरुष। योगेश्वर। कर्मयोगी। पथ-प्रदर्शक। सद्गुरु। चमत्कारी। सरल। प्राप्य। तरल। श्री कृष्ण ने लोगों को बदला। साई भी हमें बदल रहे हैं।
श्री कृष्ण ने गीता में कहा भी तो है कि "संत मेरा ही स्वरुप हैं"।

शिर्डीवासी कहते थे, "देव तोच संत। संत तोच देव।" देव ही संत हैं और संत ही देव हैं। जिसने अपनी समस्त वासनाओं का स्वेच्छा से अंत कर लिया हो वही संत है। 'संत संगति संसृति कर अंता।' संत की संगति करने से मोह और भव के बंधनों का अंत हो जाता है।