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Friday, 19 June 2015

साई के श्री चरणों में अंकित होने की आकांक्षा

मेरी लाख चोरासी काट के,  मेरा जन्म दिया है संवार
तू छोड़ के शिरडी आ गया, मैंने जब भी करी पुकार।।
 
तेरी महिमा कैसे गऊ साई, तू है सच्चा सिरजनहार।
श्री चरणों में अंकित रख मुझे, आकांक्षा को मेरी कर साई स्वीकार ।।
 
लाखों रंगों के इस जग में, कहीं देखा न सच्चा दरबार
तुने रूप फकीरी का धरा साई पूरी कर दी मेरे हृदय की आकांक्षा बरम बार।।
 
तू ही मेरा सद्गुरु तू ही मेरा प्यार, तेरे श्री चरणों में अंकित होने की आकांक्ष मेरी बाबा साई तू  कर स्वीकार।
 

साई से मुलाकात

यूँ ही एक दिन चलते-चलते, साई से हो गई मुलाकात।
जब अचानक साई सच्चरित्र की, पाई एक सौगात।।

ॐ साई राम

Thursday, 18 June 2015

जीवन किस काम का

दुःख के अँधेरे में उजाला साई आपके नाम का।  विपदा में सहारा बस बाबा एक आपके  नाम का।  
मिला ये जीवन बाबा आपकी कृपा से। अगर साई का सिमरन न किया तो ये जीवन किस काम का।।

साई से मिलन

हे बाबा साई,  मेरे नेत्रों को तुम अपने नेत्र बना लो देवा  ताकि हमें सुख और दुःख का अनुभव ही न हो।

मेरे शरीर और मन को तुम अपनी इच्छानुकूल चलने दो साई । 

साई , यह जो तुम्हारा लीलामृत पान करने का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ तथा जिसने हमें अखण्ड निद्रा से जागृत कर दिया है, यह तुम्हारी ही कृपा और हमारे गत जन्मों के शुभ कर्मों का ही फल है बाबा।।
 


ॐ साई राम

Sunday, 14 June 2015

अंकित आकांक्षा

साई ने अंकित को आकांक्षा दे कर पूरी कर दी सब अभिलाषा। समझ में आ गई बाबा अब हमें आपके नाम की परिभाषा।।